जब कोई व्यक्ति किसी को या उसके करीबी को मार देने या कोई गंभीर चोट पहुंचाने का

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भय दे कर कोई वैल्युएबल वस्तु कोई कागज या फिरौती लेता है इस केस में ये 386 ipc लगती है

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इस धारा के अंदर आने वाले एक्ट बहुत ही संगीन अपराध है।

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जब किसी पर धारा 386 का आरोप सिद्ध हो जाए तो उसको 10 साल की जेल या जुर्माना होता है

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ये जज पर निर्भर करता है जज जेल या जुर्माना दोनो भी कर सकता है

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धारा 386 तभी लगती है जब मृत्यु या किसी गंभीर चोट का पुख्ता सबूत हो

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ये एक गैर ज़मानती अपराध है इस में किसी को भी आसनी से बेल नहीं मिलती है

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अगर किसी पर ये धारा लगी हो तो उसको बेल लिए उच्च न्यालय तक भी जाना पड़ सकता है।

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इस में पुलिस बिना वारेंट के भी आरोपी को उठा सकती है

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इस में समझौते की भी कोई गुंजाइएस नहीं होती।

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अगर किसी पर झूठी 386 धारा लग जाती है तो उनको अपनी बेगुनाही के सबूत पेश करने होंगे

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कोर्ट को ये दिखाना होगा की वह भागेंगे नहीं और कोर्ट की प्रक्रिया में शामिल होंगे

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