अधिनियम 2003 के अनुसार अगर कोई बिजली की चोरी करता है या बिजली के मीटर से छेड़ छाड़ करता है या फिर विद्युत विभाग का चोरी के सामान को खरीदता है
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ये सारे मामले अधिनियम 2003 के अंतर्गत अपराध में आते है। इस अधिनियम के आने से पहले किसी भी प्रकार के विद्युत अपराध का मामला पुलिस सटेशन में दर्ज करवाना पड़ता था
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पर इस अधिनियम के आने के बाद विद्युत कंपनियों को ये अधिकार मिल गया की वो अब डायरेक्ट विद्युत अपराधों को विशेष न्यालय में प्रस्तुत कर सकते है। और आगे की करवाई करवा सकते है
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अगर कोई बिना विद्युत विभाग की अनुमति से या बिना मीटर के डायरेक्ट तार से बिजली का उपयोग करता है या जिस काम के लिए बिजली का कनेक्शन लिया हो उसके अलावा और काम के लिए प्रयोग कर रहा हो
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ऐसा कोई भी बिजली का आरोप सिद्ध होने के बाद इस अधिनियम के अनुसार व्यक्ति को तीन साल तक की कैद और जुर्माने का प्रावधान है या फिर व्यक्ति को दोनों भी हो सकते है
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यदि कोई व्यक्ति विद्युत विभाग या कंपनी के सामान की तोड़फोड़ करता है या किसी प्रकार का कोई नुकसान पहुंचता है एसे व्यक्ति को भी इस अधिनियम के तहत 10 हजार का जुर्माना लगाया जाता है
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विद्युत के अपराधों में सीधा वारेंट जारी होता है। अगर किसी को न्यालय से वारेंट जारी किया गया हो तो उस व्यक्ति को अपनी जमानत करवानी पड़ती है। इस में कोई समन नहीं आता है