धारा 384 | Section 384 IPC In Hindi

Section 384 IPC-  अगर कोई व्यक्ति किसी से ज़बरदस्ती या भय से वसूली करता है या रंगदारी की मांग करता है तो आरोप सिद्ध होने पर उसको Section 384 IPC  के अनुसार सजा देने का प्रवधान है | धारा 383 में वसूली और extortion की परिभाषा बताई गई है | आज हम इस आर्टिकल में Section 384 IPC In Hindi में डिटेल में चर्चा करेंगे | इस में हम जानेगे के कब ये धरा लगती है, इसके उदाहरण इसकी सजा और बचने के उपाय के बारे में पड़ेंगे |

रंगदारी क्या है | What is extortion 

जब कोई किसी व्यक्ति से डरा धमका या किसी अन्य भय  से  जबर्दस्ती पैसों की वसूली करता है या डरा धमका के किसी प्रॉपर्टी को अपने नाम करवा लेता है  या कोई प्रोटेक्शन मनी की मांग करता है इसे ही रंगदारी या extortion कहते है |  ये भय आदमी को  जान से मरने की धमकी या परिवार को चोट पहुंचाना हो सकता है | इस में धरा 384 के अनुसार सजा सुनाई जताई है|

Section 384 IPC In Hindi

उदाहरण । Example

आइए इसे एक उदाहरण से समझते हैं एक बिल्डर एक शहर में रहता है और उसका काम शहर में अच्छी तरह से स्थापित है। एक स्थानीय गैंगस्टर अपने व्यवसाय को सुचारू रूप से चलाने के लिए प्रति माह 5 लाख रुपये की सुरक्षा राशि मांगता है। अगर तुमने ये पैसे देने से इंकार किया तो हम तुम्हें और तुम्हारे परिवार को नुकसान पहुंचाएंगे। इसमें बदमाश भय दिखाकर पैसे लूटते हैं, इसे एक्सट्रोशन कहते हैं|

दंड | Punishment according Section 384 IPC

जब किसी वयक्ति के ऊपर भय दिखा के जबर्दस्ती  वसूली या रंगदारी  करने का आरोप सिद्ध हो जाता है तो उस को धारा 384 के तहत 3 साल की सजा या जुर्माना या दोनों हो सकते है| Section 384 IPC के तहत सजा तभी हो सकती है जब वसूली या मांग का कोई पुख्ता सबूत हो केवल पीड़ित के बयान से ही सजा नहीं हो सकती | आसान भाषा में कहें तो वसूली या धमकी की कोई पुख्ता सामग्री या धन राशि की कोई पुष्टि हो मतलव आरोप साबित करने क लिए पीड़ित के पास कोई पक्का सबूत होना चाहिए | नहीं तो ऐसे कोई भी किसी के ऊपर आरोप लगा कर किसी को भी punishment  करा सकता है |

Section 384 IPC

 

जमानत | Bail in Section 384 IPC

यह एक गैर जमानती अपराध है जिस की जमानत नहीं है | यदि केस आगे चला जाता है तो इस में समझौते का भी कोई प्रवधान नहीं है | इस में यदि कोई बचना चाहता  है तो केस आगे जाने से पहले मतलव कोर्ट के बाहर ही समझौता कर के कुछ हो सकता है समझौता पीड़ित से माफ़ी मांग के या अपनी गलती मान के कोर्ट में केस जाने से पहले ही हो सकता है.

यह सब Section 384 IPC In Hindi के बारे में है, हमें उम्मीद है कि यह लेख आपके लिए उपयोगी होगा। यदि आपको कोई संदेह है तो कृपया बेझिझक हमें टिप्पणी करें। यदि आप पर धारा 384 लगाई गई है तो कृपया यथाशीघ्र अपने स्थानीय वकील से संपर्क करें। वकील मामले में आपका उचित मार्गदर्शन करेगा। अधिक आईपीसी अनुभाग पढ़ने के लिए हमारी वेबसाइट localhindi.com पर जाएं|

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

Q1.  384 आईपीसी जमानती है या नहीं | 384 ipc bailable or not

Ans –  नहीं, यह एक गैर जमानती या समझौता रहित अपराध है

Q2. आईपीसी की धारा 384 में सजा | 384 ipc punishmen

Ans. आरोप सिद्ध हो जाता है तो उस को धारा 384 के तहत 3 साल की सजा या जुर्माना या दोनों हो सकते है

2 thoughts on “धारा 384 | Section 384 IPC In Hindi”

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