342 ipc in hindi – Ipc section 342 wrongful confinement मतलब गैर कानूनी रूप से किसी को उसकी मर्जी के बिना कहीं कैद या नजरबंद कर के रखने की सजा के बारे में बताता है। आज हम इस आर्टिकल के माध्यम से 342 IPC के बारे में अच्छे से जानेंगे, जैसे कैसे ये धारा लगती है अगर लग गई तो कैसे इस से बचा जाए, कितनी सजा हो सकती है और इस में जमानत होती है या नहीं। चलिए तो शुरू करते है।
क्या है रोंगफुल कंफिनमेंट। What is wrongful confinement
वrongful confinement की परिभाषा ipc सैक्शन 340 में बताई गई है। इस का आसन सा मतलब है जब कोई किसी को उसकी मर्जी के खिलाफ जबरदस्ती बंदी बना कर या कहीं कैद कर के रखता है या नजरबंद कर के रखता है उसे wrongful confinement कहते है। अगर कोई किसी को गैर कानूनी तरीके से किसी को कैद कर के रखता है ये कार्य worngful confinment में आता है।
जैसे कई बार घर वाले लड़की को घर में कैद कर के रखते है की कहीं वो कोई गलत कदम न उठा ले घर वालों की ओर से तो ये ठीक है पर किसी की बिना मर्जी के उसे कैद करना कानूनी गलत है। ये धारा हम सब को ये अधिकार देती है की हमे कोई भी हमारे बिना मर्जी के कहीं कैद नहीं कर सकता। ऐसे ही कई बार जब कोई अदालत से रिहा हो जाता है पर पुलिस वाले उसे 1 या दो दिन अपनी कस्टडी में रखते है ये भी सेक्शन 342 के अंतर्गत अपराध है उन पर करवाई हो सकती है।
उदाहरण | Example
1. एक बार एक दीप नाम का प्लंबर था वो एक बिल्डिंग में काम करने के लिए गया वहां काम करते समय उस से एक पाइप में क्रैक आ गया जिस से मकान मालिक के परिवार ने उसे मरा और 2 दिन कैद कर के रखा। इस केस में उस परिवार पर 342 IPC के अनुसार सजा हुई और और ipc की धारा 307 , धारा 34 भी लगी।
2. जैसे पति ने अपनी पत्नी को कमरे में लॉक लगा कर कैद कर के रखा हो।
342 IPC में सजा। Punishment in 342 Ipc
ईpc की धारा 342 बताती है की अगर कोई किसी को जब्दस्ती उसकी बिना मर्जी के कैद कर के रखता है उसको क्या सजा मिलेगी । सजा की बात करें तो आरोपी को 1 साल की जेल और जुर्माने का भी प्रावधान है। या सजा या जुर्माना दोनो भी हो सकते है ये सब जज और कोर्ट पर निर्भर करता है। इस की सुनवाई जुनियर मजिस्ट्रेट की फर्स्ट क्लास की अदालत jmic में होती है।
जमानत | Is it Bailble or Not
हां 342 IPC में बेल मिल जाती है। इस में बड़ी आसानी से पुलिस सटेशन में ही बेल मिल जायेगी आपको कोर्ट जाने की जरूरत नहीं है। दूसरी बात इस में समझौता हो जाता है आप पुलिस के सामने समझौता कर सकते है। जब 342 IPC के तहत fir होती है तो इस में पुलिस आरोपी को बिना किसी वारेंट के अरेस्ट कर सकती है।
Conclusion
342 ipc प्रत्येक भारतीय नागरिक को ये स्वतंत्रता देता है की कोई भी बिना हमारी मर्जी के हमे कैद कर के नहीं रख सकता। अगर कोई जबरदस्ती किसी को कैद कर के रखता है तो उस को 342 ipc के अनुसार 1 साल की सजा या जुर्माना या फिर दोनों हो सकते है। अगर कोई आपको आपकी मर्जी के बिना कैद करता है तो आवाज उठाओ।
हमें आशा है आपको धारा 342 ipc अच्छे से समझ आ गई होगी। अगर आपको अभी भी कोई डाउट है तो आप हमें कॉमेंट करे या कॉन्टैक्ट करें। और सभी ipc की धाराओं के बारे में पड़ने के लिए हमारी वेबसाइट पर विजिट करें।
FAQ
Q1. आईपीसी में धारा 342 क्या है? | What is 342 section in IPC?
Ans. Ipc section 342 wrongful confinement मतलब गैर कानूनी रूप से किसी को उसकी मर्जी के बिना कहीं कैद या नजरबंद कर के रखने की सजा के बारे में बताता है
Q.2 आईपीसी 342 में सज़ा | IPC 342 punishment
Ans. आरोपी को 1 साल की सजा और जुर्माने का भी प्रावधान है। या सजा या जुर्माना दोनो ही हो सकते है
Q.3 धारा 342 जमानतीय है या नहीं | Is section 342 bailable or not
Ans. हां Ipc 342 में बेल मिल जाती है