Rights and Liabilities of Lessor and Lessee

Rights and Liabilities of Lessor and Lessee | मालिक और किरायेदार के अधिकार

आज के समय में हर कोई नौकरी या अपने वेवसाय के लिए घर से बाहर रहते है। जब कोई बाहर रहता है तो उसे रहने के लिए कोई मकान या कमरा किराए पर लेना पड़ता है। एसे में जो व्यक्ति अपना मकान किसी को किराए पर देता है उसे lessor कहते है और जो व्यक्ति मकान किराए पर लेता है उसे lessee कहते है। आज कल मकान किराए पर लेना और देना भी कानून के दायरे में आता है। इस में मकान किराए पर देने और लेने वाले के कुछ अधिकार और जिमेदारियां होती है जो की कानून ने तय की हुई है। आज हम इस लेख में Rights and Liabilities of Lessor and Lessee के बारे में जानेंगे। 

Lessor’s rights | Lessor के अधिकार 

संपत्ति का स्वामित्व का अधिकार

किसी भी संपत्ति का कोई न कोई मालिक जरूर होता है। जो संपत्ति का मालिक होता है उसे ही lessor कहा जाता है। संपति पर स्वामित्व ही मालिक का सबसे बड़ा अधिकार होता है उसके पास अपनी संपति का कैसे भी इस्तेमाल करने का अधिकार होता हैं। एक lessor अपनी संपति को किराए पर दे सकता है।

संपति का किराया लेने का अधिकार

जब कोई लेसर किसी को अपनी संपति जेसे की मकान किसी को किराए पर देता है तो इसके पास पूरा अधिकार होता है की वो तय किए गए समय पर मकान का किराया ले सकता है।

संपति की सुरक्षा

लेसर को अपनी संपति की सुरक्षा करने का भी पूरा अधिकार है यदि कोई किरायेदार संपति को नुकसान पहुंचा रहा हो या संपति का गलत तरीके से या गलत काम के लिए इस्तेमाल कर रहा हो तो मालिक किरायेदार पर कानूनी कारवाई करवा सकता है।

Contract समापत करने का अधिकार

जब कोई lesses समय पर संपति का किराया नहीं दे रहा हो या बहाने लगा रहा। या वो संपति का गलत इस्तेमाल कर रहा हो। तो ऐसी परिस्थितियों में लेसर अनुबंध को समाप्त कर सकता है। 

Lessee’s rights | किरायेदार के अधिकार 

संपति का उपयोग

जब कोई व्यक्ति किसी से संपति किराए पर लेता है तो उसे lessee कहते है। और यह lessee का अधिकार है की वो संपति का उपयोग कर सके। और ये उपयोग जो कॉन्ट्रैक्ट में निर्धारित गाइडलाइंस हो उसी के अनुसार ही होना चाहिए।

गोपनीयता का अधिकार

यह किरायेदार का बहुत ही विशेष अधिकार है जिस में संपति के मालिक को अपने किरायेदार की प्राइवेसी का सम्मान करना चाहिए। मालिक बिना किरायेदार को बताए या बिना पूर्व सूचना के मकान में या संपति में दाखिल नहीं हो सकता 

संपति की मुरम्मत

यदि किराए पर दी हुई संपति उपयोग करने के लायक नही है तो यह किरायेदार का अधिकार है की वो मालिक को बोल सकता है की संपति की मुरम्मत करवाने की मांग कर सकता है। अगर संपति में कोई रिपेयर का कार्य हो और मालिक उस काम को नही करवा रहा हो तो किरायेदार अपने पैसे से वो रिपेयर करवा सकता है और खर्च किए गए पैसों को किराए में से काट सकता है यह अधिकार किरायेदार को होता है। पर किरायेदार कोई भी परमानेंट स्ट्रक्चर संपति के अंदर नहीं बना सकता |

कानूनी कारवाई

यदि मकान मालिक किरायेदार को बेवजह तंग करता है या जो अनुबंध में तय की गई शर्तों को नही मानता है तो किरायेदार का ते अधिकार है की वो मकान मालिक पर कानूनी कारवाई करवा सकता है।

मालिक के दायित्व

मुरम्मत

यदि किसी ने अपनी संपति किराए पर दी हो तो मालिक को संपति का पूर्ण रूप से ध्यान रखना चाहिए जेसे की छोटी मोटी मुरम्मत और हर 2 या 3 साल में पेंट करवाना । संपति को उपयोग में रखने की सारी जिमेदारी मालिक की है।

Rights and Liabilities of Lessor and Lessee
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कानूनी अनुबंधों का पालन 

मालिक को जो भी किरायेदारी के अनुबंध की शर्ते होती है उनका पालन करना पड़ता हैं इन शर्तों में किराए की राशि, कितनी तारिक को किराया देना है और किस तरह से संपति का उपयोग करना है होता है। और सबसे बड़ा दायित्व अपने किरायेदार की प्राइवेसी का ध्यान रखना है जेसे की उसको बिना पहले बताए संपति में न जाना।

Lessee के दायित्व

समय पर किराया देना

किरायेदार का सबसे पहला दायित्व है की तय किए गए समय पर किराया दिया जाए इस से किरायेदार और मालिक के बीच अच्छे संबध बनते है। 

संपति का सही इस्तेमाल

हमेशा ही एक किरायेदार को किराए पर ली हुई संपति का सही और जो अनुबंध में तय हुआ हो उसी के अनुसार ही संपति का इस्तेमाल करना चाहिए। कभी भी किराए पर ली हुई संपति का गलत इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।

संपति की देखभाल 

संपति की देखभाल करना और अगर संपति को कोई नुकसान हुआ हो तो समय से मालिक को बताना सबसे बड़ा दायित्व है। और इसके साथ ही किरायेदार को अनुबंध की सारी शर्तों को भी मनना चाहिए।

विवाद और समाधान 

कानूनी प्रक्रिया

जब भी कभी किरायदार और मालिक के बीच किसी बात के लिए विवाद होता है तो अदालत इन मामलों को अच्छे से सुलझाने में सक्षम होती है। कई बार जब कोई फेसला मुस्किल हो जाता है तो अदालत मध्यस्ता का रास्ता अपनाती है और दोनों का समाधान निकालती है।

किरायेदारी अनुबंध का महत्व

यह एक प्रकार का Contract होता है जिस में किरायदारी की सारी शर्ते मालिक और किरायेदार के लिए स्पष्ट रूप से लिखी होती है। जो की विवादों को सुलझाने के लिए बहुत सहायक होती है।

Conclusion

किरायदारि एक बहुत ही जरूरी अनुबंध है जिस में Lessor and Lessee के अधिकारों और दायित्वों के बारे में साफ तौर पर लिखा होता है। इस में जो भी शर्ते होती है उनका दोनो मालिक और किरायेदार को अच्छे से पालन करना चाहिए। अगर दोनो शर्तों का पालन करते है तो विवाद नहीं होंगे और इस से सोसाइटी का रहन सहन का एक अच्छा वातावरण बनेगा।

हमने आपको Rights and Liabilities of Lessor and Lessee के बारे में बताया हमे आशा है की आपको ये लेख पसंद आया होगा। अगर आप और भी एसे ही कानून के बारे में लेख पढ़ना चाहते है तो हमारी वेबसाइट लोकल हिंदी पर जाए। वहां आपको बहुत से ऐसे और भी लेख मिलेंगे। अगर आपको Rights and Liabilities of Lessor and Lessee के बारे में कोई प्रश्न या संदेह है तो हमे कॉमेंट या कॉन्टैक्ट करें हम आपका जवाब जरूर देंगे।

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